पवन - सुनील गुप्ता

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( स्व.श्री पवन जैन )

(1)" प ", परम शिष्य

          अमरमुनिजी के

          चले छोड़ महाप्रयाण पर  !

          बहती रहेगी अनवरत ' पवन ' ज्ञानधारा....,

          सदैव खोले ज्ञानचक्षु साधकों मुमुक्षुओं के !!

(2)" व ", वरद हस्त रहा

          अमरमुनि उपाध्याय जी का

          प्रिय शिष्य ' पवन जी ', के ऊपर  !

          दे गए गुरूजी ज्ञान के अमर मुक्तक शतक .,

          जो दिखा रहें हैं सदा मार्ग हमें यहाँ पर !!

(3)" न ", नमन वंदन

         करते हैं प्रणाम शत-शत

         गुरु ' श्रीपवनजी ', की विद्वता को  !

         चलेंगे उनके दिखलाए मार्ग पे हम...,

         छोड़ेंगे नहीं कभी धर्मकर्म सत्यपथ को  !!

(4)" पवन ", पवनजी को

         मिली है उत्तम मोक्ष गति

         पावन माघ पूर्णिमा के दिवस पर  !

         वे बनें रहेंगे हमारी मधुर स्मृतियों में...,

         मिला मुनि सेवा का पुण्य फल उन्हें यहाँ पर !!

(5)" पवन ", पवन जी के

         सन्निकट रह कर हरदम

         देखी बदलती जीवन दशा व दिशाएं  !

         वे बनें रहेंगे सदा हमारी स्मृति पटल पर.,

         कर रहे श्रद्धासुमन अर्पित मनभावनाएं !!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान