पलाश के फूल - रश्मि मृदुलिका

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मेरे लिए,,, पलाश के फूल,,,,,,

बिखरे हुए पलाश के फूल,

मेरे लिए तुम चुनते रहना ता उम्र,

ठंडी लोहे की बैंच पर बैठे हुए मैं तुम्हें,

निहारती रहूंगी ता उम्र,

अंजुली में जिस तरह स्नेह से,

तुमने हंसते हुए रखें थे|

वो केसरिया पलाश के फूल,

उसी क्षण अभिशप्त सा दर्द,

हथेली की रेखाओं से ओझल होकर,

वहीं नम जमीन पर समा गया था|

ढ़लते हुए संध्या की ओट में, उस

कस्तूरी सुगंध को उतार लिया था मैंने,

पलाश के फूलों की वो भेंट,

जीवन का अनमोल गहना,

पहनती रहूंगी हृदय पर ता उम्र,

समय के बीतते क्षण नहीं,

स्मृतियों के चित्र नहीं,

वादों और बेवजह के बातो में नहीं,

पलाश के फूल साक्षी होगें,

तेरे- मेरे निर्मल सुगंधित प्रेम के,

- रश्मि मृदुलिका, देहरादून , उत्तराखंड