नेतधरम आज मोहताज - अनिरुद्ध कुमार

 | 
pic

प्रजातंत्र छितराईल बा,

नेता सबे अझुराइल बा।

जोड़-तोड़ के खेला देख,

सारा देश अगुताइल बा।।

जनसेवा मेवा के खान,

मति जानेब भरमाइल बा।

आपन आपन बावे फेर,

अब माहौल गरमाइल बा।

भ्रष्टाचार के आँधी में,

सारा देश तोपाइल बा।

देख गरीब छाती पीटे, 

नेता सबे मोटाइल बा।

के साधू आ केबा चोर,

चरचा सगरे तवाइल बा।

जनतंत्र परिवारिक लागे,

जनता सेवा भुलाइल बा।

सत्ता सुख छोड़ले मुस्किल,

चस्का गजबे धराइल बा।

दुनिया चाहे कुछो सोंचें, 

खानदानी कमाईल बा।

जनता खोजेला सहारा,

जनमत दूरे लजाइल बा।

मतलबी बिचार धारासे,

समाजवाद घबड़ाइल बा।

आपन ढ़फली आपन राग,

आँख खोल सब देखी राज।

कहाँ जा रहल बा सामाज,

नेतधरम आज मोहताज।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह

धनबाद, झारखंड