नेपाली मुक्तक - डा.दिव्य-प्रियंवदा काफ्ले आचार्य
Dec 23, 2023, 23:12 IST
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को सही छ को गलत छ भन्ने फैसला चाइएको छैन,
मन अशान्त बनाउने कलहको कला चाइएको छैन।
आफ्नो मान्छे जस्तो छ त्यस्तै स्वीकार गर्न छोडेर,
विक्षिप्त हुन थपिने वैमनस्यको तला चाइएको छैन।
हिंदी -
कौन सही कौन गलत इसका कोई फैसला नहीं होता,
मैं नहीं चाहता कि कलह की कला मन को विचलित करे।
अपने व्यक्ति को वैसा ही स्वीकार करने के बजाय, जैसा वह है,
अजीब होने के लिए कोई जोड़ने की जरूरत नहीं है।
- डा.दिव्य-प्रियंवदा काफ्ले आचार्य, काठमांडू, नेपाल