नेह लेखनी (दिग्पाल छंद) - ममता जोशी
Aug 7, 2024, 23:58 IST
| माँ शारदे करें हम ,पूजा सदा तुम्हारी,
है द्वार पर खडे़ हम ,विनती सुनो हमारी।
आशीष यह मिले बस, पथ सत्य पर चलूँ मैं,
नित नेह लेखनी से, मृदु काव्य में ढलूँ मैं।
कैसे न प्रेम होगा, विश्वास यह जगाती,
मैं नेह लेखनी से, साहित्य को सजाती।
शुचि भाव का सबक मैं, प्रति पल यहाँ पढ़ाती,
नफ़रत मिटा तमस का ,दीपक अमिट जलाती।
मत द्वेष भाव रखना , कविता हमें बताती,
है नेह लेखनी तो , अभिमान को मिटाती।
मैं सत्य बोलती हूँ, झूठा नहीं सिखाती,
सम्मान में हमेशा,रचना सरस सुनाती।
परमार्थ जो जगाये, वह ज्ञान मातु भर दे,
उर गेह को सहज कर,पावन उदार कर दे।
मां नेह लेखनी से, सबका बनूँ सहारा,
बहती रहे निरन्तर, मन में पुनीत धारा।
- ममता जोशी "स्नेहा ", देहरादून , उत्तराखंड
Mon,20 Jan 2025
ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Mon,20 Jan 2025
आदमी छला गया - अनिरुद्ध कुमार
Mon,20 Jan 2025
श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन 20 जनवरी से 27 जनवरी तक
Mon,20 Jan 2025
ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Mon,20 Jan 2025
आदमी छला गया - अनिरुद्ध कुमार
Mon,20 Jan 2025