नवरात्रि मुक्तक - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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नवरात्रि मुक्तक ३ - चन्द्रघण्टा

मातु चन्द्रघण्टा तुम्हें, मन से करें प्रणाम।

वरदहस्त रख शीश पर, कृपा करो अविराम।।

शंख और घण्टे बजें, उपजे ऐसे राग।

विपदाएं सब दूर हों, सबके जागें भाग।।

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नवरात्रि मुक्तक ४ - कूष्मांडा माता 

कूष्मांडा माता करो, सर्व जगत कल्यान।

तेरे चरणों मे सदा, लगा रहे बस ध्यान।।

मनसा वाचा कर्मणा, धरे तुम्हारा ध्यान।

देवी के आशीष से, जग में बढ़ता मान।।

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी,नोएडा, उत्तर प्रदेश