नारी तेरा रूप - ममता जोशी

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नारी तेरा रूप निराला,

जननी बन जीवन तारा।

तू ही प्रेमी रूपी प्याला ,

तेरा ही हर रूप निराला।

लक्ष्मी बनी कभी गृहणी तू,

कभी बनी रण दुर्गा तू।

जब बात पड़ी तेरे आन पर,

काली बन महिषासुर को तारा,

नारी तेरा रूप निराला।।

तू ही राधा तू ही मीरा,

लक्ष्मीबाई बन अपने ,

देश गौरव के खातिर ।

तूने सर्वत्र अर्पण कर डाला,

नारी तेरा रूप निराला।

महादेवी बन छायावाद की,

कितने अंतर्मन गीत पिरो डाले।

मैं नीर भरी दुख की बदली'                 

लिखकर अपना दुख बतलाया,

नारी तेरा रूप निराला।

नारी तू ही शक्ति रूपा,

वात्सल्य सूर का तूने पाया।

कितने भी संकट आए,

लेकिन तूने पल में टाला,

नारी तेरा हर रूप निराला।।

- ममता जोशी स्नेहा, उत्तरकाशी