मेरी कविता - कालिका प्रसाद

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मेरी  कविता में संस्कार होते हैं

मेरी कविता में मर्यादा होती है,

मेरी कविता में प्रार्थना होती है

मेरी कविता में मानवता  होती।

मेरी कविता में बचपन की बात होती है

मेरी कविता में प्रकृति का रुप है,

मेरी कविता में गुरु महिमा होती है

मेरी कविता मन की बात होती है।

मेरी कविता  सुगन्धित होती है

मेरी कविता मेरे मन की पीड़ा होती है,

मेरी कविता मेरी सोच  होती है

मेरी कविता सुख दुख का बताती है।

मेरी कविता समाज का चित्रण करती

मेरी कविता गरीब का दर्द बताती है,

मेरी कविता  रिश्तो की कहानी होती है

मेरी कविता विश्वास से भरी होती है।

मेरी कविता में लोकतन्त्र में होता है

मेरी कविता दायरे में होती  है,

मेरी कविता में सघर्षो  की बात होती है

मेरी कविता में शहिदों का त्याग होता।

- कालिका प्रसाद सेमवाल

मानस सदन अपर बाजार

रुद्रप्रयाग  उत्तराखंड