मेरी जिंदगी का संगीत - सुनील गुप्ता

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 ( 1 ) " मेरी ", मेरी

जिंदगी का संगीत,

हो तुम प्रिय अर्धांगिनी  !

चलूँ गाता नित नया एक गीत....,

और कटती चले जाए ये जिंदगानी !!

( 2 ) " जिंदगी ", जिंदगी

का ये सफर,

बनें साथ तेरे रंगीन   !

तू है तो, सुहानी हैं राहें......,

और चलूँ बजाता जीवन साज बीन !!

( 3 ) " का ", कामनाएं

जीवन की मेरी,

कि, रहे सदा तू प्रसन्न अपार !

पी जाऊँ, दुःख-गम सारे तेरे....,

और लेकर चलूँ, तुझे चाँद के पार !!

( 4 ) " संगीत ", संगीत

सुनें अंतस का,

फिर, सुबह ओ शाम गुनगुनाऊँ  !

सदैव उठती चलें मधुर रागिनी तरंगे.....,

और देख तेरा अप्रतिम शुभानन मुस्कुराऊँ!!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान