मम्मी का ग़ुस्सा (लघु कथा) - पीयूष गोयल
vivratidarpan.com - बात सन् 1975 की हैं मेरे पिता जी सरकारी नौकरी में सहारनपुर के एक गाँव सबदलपुर में स्वास्थ विभाग में कार्यरत थे. पिता जी का स्थानांतरण थाना भवन (जलालाबाद) से हुआ था.मेरे पिता जी को सिगरेट पीने की आदत थी,एक दिन में करीब 10-15 सिगरेट पी लेते थे, और उस समय उन सिगरेट की क़ीमत लगभग 1 .50 - 2 रुपये प्रतिदिन होती थी और एक लीटर दूध क़रीब 1 . 75 रुपये प्रति लीटर हुआ करता था क़रीब सुबह के 10 बजे होंगे रविवार का दिन था मैं और मेरे पापा खाट पर नीम के पेड़ के नीचे बैठे अख़बार पढ़ रहे थे साथ ही साथ पापा सिगरेट भी पी रहे थे. मेरी मम्मी पता नहीं किस बात पर ग़ुस्से में थी, पापा से बोली आप इतनी सिगरेट पी रहे हो, दिन में क़रीब 1 .50 से 2 रुपये का खर्चा होता हैं और एक लीटर दूध की क़ीमत 1 . 75 रुपये हैं , पापा ने तभी ग़ुस्से में सिगरेट पैकेट व माचिस को तरोड़ मरोड़ कर नाली में फेंक दिया, वो दिन और आज का दिन पापा को सिगरेट पीते कभी नहीं देखा. उन दिनों पापा के पास एक साइकिल हुआ करती थी, पापा आफिस के काम से 3 दिन में क़रीब 60 किलोमीटर ( आना व जाना) चला लिया करते थे.उन दिनों हम भाई बहन (मैं,२ भाई व बहन ) व मम्मी पापा शाम के समय सब एक साथ पूजा करते थे और पूजा के तुरंत बाद खाना खाते थे बड़ा अच्छा लगता था एक दिन खाना खाते हुए मम्मी बोली क्यूँ न स्कूटर ले लिया जाए एक साथ सभी बोले हाँ पापा स्कूटर ले लो, उन दिनों एक कम्पनी ने एक नया स्कूटर लाँच किया था.सन् 1977 में पापा ने स्कूटर लिया उस समय क़ीमत लगभग 5272 रुपये थी. और मजे की बात सन् 1977 में स्कूटर का नंबर 6377 था, जो आज तक याद हैं मुझे.यहाँ पर जो सबसे महत्वपूर्ण बात ये हैं सिगरेट के बचे पैसे स्कूटर लेते समय बहुत काम आए और जिस दिन स्कूटर आया था ( सन् 1977 पूरा गाँव स्कूटर देखने आया था, हम सब भाई बहन बड़े ही खुश थे.सन् 1977 में स्कूटर रखना अपने आप में बहुत बड़ी बात थी,आज सन् 2022 में क़रीब मैं 85000 रुपये का स्कूटर लेकर आया, 46 साल में क़रीब 80000 रुपये कीमती पर 5272 रुपये का स्कूटर उस समय पूरा गाँव देखने आया था लेकिन आज कोई नहीं … - पीयूष गोयल, नोएडा , उत्तर प्रदेश