मुक्तक सृजन - मधु शुक्ला

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मच्छर का लक्ष्य हमेशा, रक्त प्राप्त करना रहता है।

जीवन बचाने के लिए, उदर प्राय भरना रहता है।

कैसे कहाँ से वह गहा, भोजन न सोचा उसने कभी,

जग में तभी तो सर्वदा, बेमौत उसे मरना रहता है।

 

जिसने भलाई की जगत, वह ही पाया सम्मान खुशी।

पावन हृदय ने गही है, ईश्वर कर से मुस्कान खुशी।

स्वार्थी हर जीव सदा ही, नर्क वास की सजा भोगता,

मच्छर रहे या आदमी, उससे रहती अनजान खुशी।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश