माँ महादेवी है - अशोक  यादव

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माँ शक्ति है, माँ भक्ति है, माँ है देवी के रूप।
माँ करुणा है, माँ  दया है, माँ है विश्व अनूप।।
माँ ज्ञान है, माँ विज्ञान है, माँ है प्रथम गुरु।
माँ सुख है, माँ शांति है, माँ से जीवन शुरू।।
माँ प्रकाश है, माँ दिव्य है, माँ है नवीन दृष्टि।
माँ स्वर्ग है, माँ प्राण है, माँ  है जननी सृष्टि।।
माँ कल्पतरु है, माँ गंगाजल है, माँ है पवित्र।
माँ अमृत है, माँ कुसुम है, माँ है सुवास इत्र।।
माँ आराधना है, माँ सात्विक है, माँ है कीर्तन। 
माँ सेवा है, माँ स्मरण है, माँ  है आत्मनिवेदन।।
माँ आगाध प्रेम है, माँ माधुर्य है, माँ    है निर्गुण।
माँ शिक्षा सखी है, माँ वंदना है, माँ है सगुण।।
माँ गंगा है, माँ जमुना है, माँ    है नदी सरस्वती।
माँ शारदा है, माँ    लक्ष्मी है, माँ है दुर्गा,पार्वती।।
माँ चारों वेद है, माँ उपनिषद है, माँ     है पुरान।
माँ आदि ग्रंथ है, माँ बाइबिल है, माँ है कुरान।।
माँ हिंदू है, माँ मुस्लिम है, माँ है सिख, ईसाई।
माँ बौद्ध है, माँ  जैन है, माँ  है पारसी अनुयाई।।
माँ जुनून है, माँ लक्ष्य है, माँ है तीनों महाकर्म। 
माँ विजय है, माँ  सफलता है, माँ है राजधर्म।।
- अशोक कुमार यादव, मुंगेली, छत्तीसगढ़