आदर्श आचार संहिता - पंकज शर्मा तरुण

 | 
pic

vivratidarpan.com - आजकल देश में लोकसभा के चुनाव का मौसम चल रहा है।आचार संहिता लागू होने के बाद से देश में अनुशासन जैसा लगने लगा है। सारे सरकारी विभाग खासकर पुलिस, आबकारी व परिवहन विभाग सड़कों पर गश्त करते दिखाई देने लगे हैं। आम जनता असहज सा महसूस करने लगती है।  जब उसे नियमों का पालन सख्ती से करने के लिए बाध्य किया जाता है, बेतरतीब ट्रेफिक में मनमाने तरीकों से वाहन चलाना हमारी आजादी की जैसे खास शर्त है।

शराब पीकर वाहन चलाना जन्म सिद्ध अधिकार है। पुलिस के साथ गलती करने पर भी उलझना और फिर करीबी सत्ताधारी नेता से फोन पर धमकी दिलवाना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य बन जाता है। संविधान के दिए गए मौलिक अधिकारों की मांग करने वाले कथित पढ़े लिखे सभ्य नागरिक अपने कर्तव्यों को निभाने की नौबत आती है तो बगलें झांकने लग जाते है।यदि कोई पुलिस वाला किसी एक्सीडेंट स्थल का मौका पंचनामा बनाकर हस्ताक्षर करने को कहता है तो हम बचने का पूरा प्रयास करते हैं।  यह कहते हुए कि साहब कहां कोर्ट कचहरी के पचड़े में डाल रहे हैं। जबकि प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह सरकारी कामों में पूरी सहायता करेगा।अब जब आचार संहिता लग जाती है तो प्रशासनिक सख्ती तो बुरी लगती ही है।प्रशासन का यह बदला स्वरूप अजीब लगने लगाता है, क्योंकि इसकी तो हमें आदत थी ही नहीं । नगर प्रशासन जब अवैध अतिक्रमण हटाने को आता है, तो लोग काले नाग की तरह फुफकारने लगते हैं।  जैसे उसकी मणि छीनने का प्रयास किया जा रहा है। जब कि इसने सरकारी जमीन पर अपना घर/ दुकान लगाया होता है। हमारे देश में सबसे बड़ी समस्याओं में से यह प्रमुख समस्या है।  जिसको कोई भी सुलझाने में प्रशासन की मदद नहीं करना चाहता। जबकि यह काम जन हित का ही काम है।

आचार संहिता में नेता जी की हालत मरे हुए सांप की भांति हो जाती है। जिससे डर भी लगता है कि कहीं बेहोश हुआ तो डस लेगा। देश के लगभग सभी शहरों में जुआ/ सट्टा धड़ल्ले से जारी रहता है।

इसका सबसे बड़ा प्रमाण आचार संहिता लगने के पश्चात पुलिस द्वारा इनकी धर पकड़ में अचानक हुई वृद्धि से साबित होता है। लगता है कि भारत में हमेशा कोई न कोई चुनाव होते रहना चाहिए, ताकि देश में अनुशासन बना रहे और मरे हुए सांप जीवित न हो सकें।

अंत में आप से मेरा एक कर बद्ध निवेदन है कि यदि आप  वयस्क नागरिक हैं तो अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करें और किसी ऐसे व्यक्ति को अपना नेता चुनें जो आपके दुख दर्द में हमेशा सहयोगी बनता रहे।समाज की बुराइयों को मिटाने की पुरजोर कोशिश करे। विकास के पहिए को थमने न दें। (विनायक फीचर्स)