मेघपत्र - मीनू कौशिक

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दूत बनाकर घन को  प्रभु ने, संदेशा भेजा है ।

चेतावनी से भरा मेघपत्र, हम सबको भेजा है ।

लिखा है उसमें हे मानव, तू जी सबको जीने दे ।

स्वच्छ वायु  निर्मल जल ,तू पी  सबको पीने दे ।

प्रेम  प्रकृति  से  कर  वरना, पीछे  तू  पछताएगा ।

समय निकल जाने पर, हाथों को मलता रह जाएगा ।

लालच  में  पड़कर तूने, जंगल  सभी उजाड़ दिए हैं ।

पैमाने जीवन जीने के, स्वार्थ हेतु सब उखाड़ दिए हैं ।

एक मात्र  तेरे कारण ही, सभी संतुलन बिगड़ रहे हैं ।

मानवता और प्रेम दया के , रिश्ते सारे बिखर रहे हैं ।

संभल अभी भी बच सकता है, यह सुंदर संसार मेरा ।

बस केवल आधार सृष्टि का, प्यार भरा व्यवहार तेरा ।

- मीनू कौशिक "तेजस्विनी", दिल्ली