मेरी कलम से - मीनू कौशिक "तेजस्विनी"

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गिद्ध  दृष्टि  लक्ष्य  धर, तू  बाज - सी  उड़ान  भर,

ओखली दिया  है  सर, तो  मूसलों  से  तू  न  डर ।

विघ्न  सारे   हार  कर ,  चरण   तेरे   धरेंगे   सर ,

उठ  प्रचंड  जोश भर, तू लक्ष्य  का  संधान  कर ।

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नज़र शिखर पर पाँव जमीं  पर ,दिल  में आग  सुलगती  रख,

सच  का   साथ   कपट  से  कट्टी,  सीरत  सच  उगलती  रख।

डरे   बुराई   सम्मुख   आते  , इतना   दम   किरदार   में  हो,

रब  का  बंदा  है  तो  रब  की ,कुछ  तो  शान  झलकती रख ।

- मीनू कौशिक "तेजस्विनी", दिल्ली