भावार्थ - रश्मि मृदुलिका

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प्रेम नहीं रूक सकता,

दुआओं में बसता है|

तुम्हारे लिए जगाया है|

अब सो नहीं सकता|

पाप क्या, पुण्य क्या,

आज है और कल क्या,

तुम्हारे हृदय क्या, तुम जानो,

नारी मन बसा सो बस गया,,

- रश्मि मृदुलिका, देहरादून , उत्तराखंड