का सुंदर आपन गाँव रहे - अनिरुद्ध कुमार

का घाम रहे, का छांव रहे,
बेबाते थिरकत पाँव रहे,
कबहूँ ना कहीं तनाव रहे,
चहकत मन ओही ठाँव रहे।
का सुंदर आपन गाँव रहे।।
सबकासे प्रेम लगाव रहे,
हर बात बात में ताव रहे,
नखड़ा में गजबे दाव रहे,
जीवन जीये के चाव रहे।
का सुंदर आपन गाँव रहे।।
का हाव रहे का भाव रहे,
हर कोई के परभाव रहे,
दुअरा पर रोज जुटाव रहे,
सब कर केतना पुछाव रहे।
का सुंदर आपन गाँव रहे।।
जाड़ा में जरत अलाव रहे,
साँझे से रोज जमाव रहे,
बइठल सेंकत सब पाँव रहे,
मन में ना तनिक दुराव रहे।
का सुंदर आपन गाँव रहे।।
सबे उत्साहित चुनाव रहे,
सबके मिल बैठ सुझाव रहे।
हर फैसला में झुकाव रहे,
मन मोहे गजब स्वभाव रहे।
का सुंदर आपन गाँव रहे।।
अपनापन में खिंचाव रहे,
हरकेहू लागत पाँव रहे,
मन में केतना मिलाव रहे,
भाई, बबुआ बोलाव रहे।
का सुंदर आपन गाँव रहे।।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड