मौन - सुनील गुप्ता

 | 
pic

मौन रहें, व्यर्थ ना बोलें

ना बोलें बाहर, ना भीतर   !

स्वयं को मन ही मन तोलें.....,

रहें मौन, करें साधना बेहतर !!1!!

मौन रहना है एक कला साधना

रहकर एकांत, स्वयं को देखना  !

सतत करते रहें बस प्रेक्षाध्यान......,

और ना ही पहुंचाएं किसी को वेदना !!2!!

मौन रहकर जुड़ें रहें श्रीप्रभु से

और देखें निरपेक्ष भाव संग अंतर्मन  !

बस दृष्टा बनके रहें सतत देखते......,

और उलझें नहीं, रहें स्वभाव में हरेक क्षण !!3!!

मौन रहना है एक दिव्य कला

रख मौनव्रत, बनें सदा प्रवीण  !

करें ना बोलकर अपव्यय शक्ति...,

बनाएं बुद्धि को प्रखर और तीक्ष्ण !!

मौन रहते और एकांत में बैठ के

सदा सुनें अनाहत नाद स्वर   !

स्वयं की स्वयं से करते परख.....,

खोजें उठ रहे अनुत्तर प्रश्नों के उत्तर !!5!!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान