मौन - सुनील गुप्ता
Jan 16, 2024, 23:26 IST
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मौन रहें, व्यर्थ ना बोलें
ना बोलें बाहर, ना भीतर !
स्वयं को मन ही मन तोलें.....,
रहें मौन, करें साधना बेहतर !!1!!
मौन रहना है एक कला साधना
रहकर एकांत, स्वयं को देखना !
सतत करते रहें बस प्रेक्षाध्यान......,
और ना ही पहुंचाएं किसी को वेदना !!2!!
मौन रहकर जुड़ें रहें श्रीप्रभु से
और देखें निरपेक्ष भाव संग अंतर्मन !
बस दृष्टा बनके रहें सतत देखते......,
और उलझें नहीं, रहें स्वभाव में हरेक क्षण !!3!!
मौन रहना है एक दिव्य कला
रख मौनव्रत, बनें सदा प्रवीण !
करें ना बोलकर अपव्यय शक्ति...,
बनाएं बुद्धि को प्रखर और तीक्ष्ण !!
मौन रहते और एकांत में बैठ के
सदा सुनें अनाहत नाद स्वर !
स्वयं की स्वयं से करते परख.....,
खोजें उठ रहे अनुत्तर प्रश्नों के उत्तर !!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान