माह सुहावन पावन - अनिरुद्ध कुमार
Feb 3, 2025, 23:45 IST
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फगुनी लहरें फहरें बन बन।
जग उनमादित मोहे तन-मन।।
जड़ चेतन आभूषित कण-कण ।
आनंदित पाकर जीवन धन।।
सतरंगी शृंगार सुशोभित।
पुष्प पराग भ्रमर आकर्षित।।
गीत मधुर गाये मदमादित।
चारों दिशा झूमें अल्हादित।।
बासंती रंगीला जन-जन।
चूड़ी पायल बाजें खन-खन।।
आम्र मंजरी उपवन उपवन।
कोयल गीत सुनाये बन ठन।
प्रीत लहर के मनहर संगम।
सजे-धजे जड़ चेतन बम-बम।।
राग रागिनी तान अलापें।
साँझ भोर में लागे दम-खम।।
पवन झकोरे हुलसित जीवन।
मधुर-मधुर मुसकाये चितवन।।
पुरुआ पछिया नेह लुटाये।
माह सुहावन पावन भावन।।
-अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड