धड़कनों का गीत - मधु शुक्ला

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गीत धड़कनों का सुनना तो, स्वस्थ हृदय रखना सीखो,

बीमारी में उम्र न बीते, कद्र बदन करना सीखो।

सात्विक भोजन रखे स्वस्थ्य तन,रहे नियंत्रित धड़कन भी,

पास नहीं आलस्य फटकता, नाम कमाये जीवन भी।

जहाँ कहीं अनुराग भावना, सद्भावों से मेल रखे,

करे उमंगों का संग्रह मन, धड़कन मीठे गीत चखे।

नातों में जब मधुता होती, धड़कन आनन्दित रहती,

हर्ष सुगंधित जीवन रखता, खुशियों की धारा बहती।

आशा का जब रहे बसेरा, मानव के मन आँगन में,

गीत धड़कनें गातीं होती,वृद्धि सदा जीवन धन में।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश