गीत - मधु शुक्ला

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कर्म  से  उत्तम  सहारा  है  नहीं संसार में,

कर्म ही रहता सुयश सम्मान के आधार में।

कर्म गाथा ग्रंथ रामायण महाभारत कहे,

सीख इनसे जो लिए सुख से जगत में वे रहे।

व्यस्त रहते कर्मयोगी ही सदा उपकार में......... ।

मोह, ममता, लोभ, लालच घेरते सबको मगर,

ज्ञान गीता जो गहें उन पर नहीं करते असर।

स्वार्थ घुल पाता नहीं उनके कभी व्यवहार में........ ।

जिंदगी मानव बिना शुभ कर्म के मिलती नहीं,

दृढ़ लगन शुचि कर्म बिन जीवन कली खिलती नहीं।

कर्म साधक रत रहें हरदम प्रगति विस्तार में...... ।

मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश