गीत - मधु शुक्ला

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न सोचो तुम्हें क्या कहेगा जमाना।

लिखो जागरण का हमेशा तराना।

न झूठी प्रशंसा लिखो कवि किसी की।

मनुजता सिखाये रखो छवि उसी की।

अगर शारदे से अतुल नेह पाना......... ।

प्रकाशित करो सत्य अन्याय रोको।

विषमता न पनपे करो यत्न टोको।

रखो याद कवि धर्म हरदम निभाना........ ।

कलम, कल्पना, शब्द रचना जहाँ हो।

वतन की हिफाजत हमेशा वहाँ हो।

न इंसानियत को कभी तुम भुलाना...... ।

- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश