गीत - मधु शुक्ला
Mar 6, 2024, 23:22 IST
| न सोचो तुम्हें क्या कहेगा जमाना।
लिखो जागरण का हमेशा तराना।
न झूठी प्रशंसा लिखो कवि किसी की।
मनुजता सिखाये रखो छवि उसी की।
अगर शारदे से अतुल नेह पाना......... ।
प्रकाशित करो सत्य अन्याय रोको।
विषमता न पनपे करो यत्न टोको।
रखो याद कवि धर्म हरदम निभाना........ ।
कलम, कल्पना, शब्द रचना जहाँ हो।
वतन की हिफाजत हमेशा वहाँ हो।
न इंसानियत को कभी तुम भुलाना...... ।
- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश