गीत - जसवीर सिंह हलधर
Sep 6, 2023, 22:30 IST
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भूख सदा दुश्मन निर्भय की ।
आग जगाए यही हृदय की ।।
इसकी पड़ी जहां पर छाया ।
उसका रोम रोम झुलसाया ।।
कल तक जो प्यारी लगती थी ,
चिता बनी है आज समय की ।।
भूख सदा दुश्मन निर्भय की ।।1
भूख नदी तट से टकराई ।
लहरों ने भी माटी खाई ।।
इसके कारण हुई लड़ाई ,
ये ही कारक बनी विलय की ।।
भूख सदा दुश्मन निर्भय की ।।2
पग पग पर अंगार दबे है ।
जठर आग के सभी सगे है ।।
कच्ची नींद उठा देती है ,
काम देव को भूख प्रणय की ।।
भूख सदा दुश्मन निर्भय की ।।2
दोष नहीं मुर्गी चूजे का ।
भोजन जंतु एक दूजे का ।।
नियम प्रकृति का सब पर लागू ,
यही कहानी भूमि निलय की ।।
भूख सदा दुश्मन निर्भय की ।।3
भूख मनुज को दास बनाती ।
दमन करे तो ख़ास बनाती ।।
जब भी सीमा यह तोड़ेगी ,
कारक होगी महा प्रलय की ।।
भूख सदा दुश्मन निर्भय की ।।4
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून