गीत- जसवीर सिंह हलधर

झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में ।
केसर का रस घोल दिया है घाटी में ।।
दफा़ तीन सौ सत्तर किसने लगवाई ।
सोच समझकर ही हमने यह हटवाई।
इसका कितना मोल दिया है घाटी में ।।
झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में ।।1
महबूबा या फारूक इसको कोस रहे ।
आतंकों को दशकों से जो पोस रहे ।
जंगी ताला खोल दिया है घाटी में ।।
झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में ।।2
नाती परनाती नेहरू के रोते हैं ।
अब्दुल्ला के पोते आपा खोते हैं ।
सच ने धावा बोल दिया है घाटी में ।।
झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में ।।3
इस धारा ने लाखों सैनिक सटके थे ।
भूतकाल की गलती में हम अटके थे ।
आतंकों को छोल दिया हैं घाटी में ।।
झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में ।।4
वो भी भारत माँ को अब तो पूजेंगे ।
वन्देमातरम नारे अब तो गूंजेंगे ।
केतु तिरंगा झोल दिया है घाटी में ।।
झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में ।।5
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून