गीत - जसवीर सिंह हलधर
सितारों में चकल्लस है चमक शशि और दिनकर में ।
यही अहसास धरती पर यही अहसास अंबर में ।।
कभी बाबर कमीने ने मिटाया जिस निशानी को l
मिटा पाया नहीं जालिम अयोध्या की कहानी को ।
फटी त्रिपाल में रह कर उन्होंने कष्ट झेले थे ,
बहुत छोटा ठिकाना था अयोध्या के ही परिसर में ।।1
सवारी आ गयी देखो सिया के साथ रघुवर की ।
समंदर में हिलोरें है हिमालय गंध उत्तर की ।
समूचे विश्व में हलचल गवाही सिंधु ,नदियों की ,
सकल ब्रह्मांड के राजा अयोध्या आ गए घर में ।।2
हमें संयम सीखता है हमारे राम का जीवन ।
पिता के मान को जिसने जिया संग्राम का जीवन ।
बनाया लोक को परलोक का पर्याय राघव ने ,
हमारी सभ्यता के मूल का आधार रघुवर में ।।3
दिया प्रभु राम ने परिचय सरलता का सनातन का ।
पधारे न्याय के द्वारा किया सम्मान जान गण का ।
हमारी प्रार्थना सुनकर धरा पर आ गए रघुबर ,
ठिकाना छोड़कर "हलधर" पुराना क्षीर सागर में ।।4
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून