गीत - जसवीर सिंह हलधर
![pic](https://vivratidarpan.com/static/c1e/client/84522/uploaded/bfffc67460080e9c1d0c2410dbd81ae2.jpg)
बेबस और निराश न होना ,अँधियारे में दीप जलेगा !
धरती पूत हताश न होना ,हर संसय का हल निकलेगा !!
नकली तारों की तरुणाई , बेसक रात चुरा बैठी है,
आडत मंडी की चतुराई ,दिखती जो ऐंठी ऐंठी है,
सूरज जब उठ कर आएगा , तम का चोर भाग जाएगा ,
ज्योति पुंज में सबको हिस्सा ,एक बराबर अलग मिलेगा !
बेबस और निराश न होना ,अँधियारे में दीप जलेगा !!1
व्यर्थ नहीं बलिदान हमारा , जलती चिता गवाही देंगी ,
व्यर्थ नहीं आँसू की धारा , बदला बूंद बूंद का लेंगी ,
क्रोध राम यदि बढ़ जाएगा , सिंधु स्वंम मिलने आएगा ,
या तो धरा लाल होगी या , दिल्ली का मौसम बदलेगा !
बेबस और निराश न होना ,अँधियारे में दीप जलेगा !!2
रोते नयन सिसकते दामन ,अब बापस ना आ पाएंगे ,
उजड़े घर सूने आँगन ही, भ्रष्टाचारी को खाएंगे ,
मन की बात असर लाएगी , संकल्पों को दुहराएगी ,
भूधर बर्फ लिए जो बैठा ,खेतों की खातिर पिघलेगा !
बेबस और निराश न होना, अँधियारे में दीप जलेगा !!3
अच्छा वक्त बुला लाएगी , खेती कानूनों की डाली ,
कोयल अंडों को भ्रम में , ना पालेगी कौवी काली ,
प्रश्न खड़े है मिथ्य भ्रांति के , उत्तर आये सत्य क्रांति के ,
संसोधन का आश्वासन ले , "हलधर " दिल्ली छोड़ चलेगा !
बेबस और निराश न होना , अँधियारे में दीप जलेगा !!4
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून