गीत - जसवीर सिंह हलधर

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बेबस और निराश न होना ,अँधियारे में दीप जलेगा !

धरती पूत हताश न होना ,हर संसय का हल निकलेगा !!

नकली तारों की तरुणाई , बेसक रात चुरा बैठी है,

आडत मंडी की चतुराई ,दिखती  जो ऐंठी ऐंठी है,

सूरज जब उठ कर आएगा , तम का चोर भाग जाएगा ,

ज्योति पुंज में सबको हिस्सा ,एक बराबर अलग मिलेगा !

बेबस और निराश न होना ,अँधियारे में दीप जलेगा !!1

व्यर्थ नहीं बलिदान हमारा , जलती चिता गवाही देंगी ,

व्यर्थ नहीं आँसू की धारा , बदला बूंद बूंद का लेंगी ,

क्रोध राम यदि बढ़ जाएगा , सिंधु स्वंम मिलने आएगा ,

या तो धरा लाल होगी या , दिल्ली का मौसम बदलेगा !

बेबस और निराश न होना ,अँधियारे में दीप जलेगा !!2

रोते नयन सिसकते दामन ,अब बापस ना आ पाएंगे ,

उजड़े घर सूने आँगन ही, भ्रष्टाचारी को खाएंगे ,

मन की बात असर लाएगी , संकल्पों को दुहराएगी ,

भूधर बर्फ लिए जो बैठा ,खेतों की खातिर पिघलेगा !

बेबस और निराश न होना, अँधियारे में दीप जलेगा !!3

अच्छा वक्त बुला लाएगी , खेती कानूनों की डाली ,

कोयल अंडों को भ्रम में , ना पालेगी  कौवी काली ,

प्रश्न खड़े है मिथ्य भ्रांति के , उत्तर आये सत्य क्रांति के ,

संसोधन का आश्वासन ले , "हलधर " दिल्ली छोड़ चलेगा !

बेबस और निराश न होना , अँधियारे में दीप जलेगा !!4

- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून