प्रणय कविता - अनुराधा पाण्डेय

 | 
pic

कवि का वर्णन प्रिय ! कल्पित ।

तुझ -सा कब चाँद अनूठा ?

उस पर क्या हृदय समर्पित ।

घटता जो निशि दिन झूठा ?

यह प्रकृति सुंदरी मृण्मय ।

तेरा रति गंध सनातन ।

वो करती नय का अभिनय ।

तू अभिनव होती क्षण-क्षण ।

जड़,पतझर में झड़ जाते ।

तू मधुमासी वल्लरियां ।

जो व्यथा कभी भर जाते ।

क्या उनसे सुख की लरियां ?

मैं ‌तुझसे प्रणय कलित हूँ।

इक गीत अनादि ललित हूँ

- अनुराधा पाण्डेय, द्वारिका , दिल्ली