फिजी (सुवा) से प्रेम – कालिका प्रसाद सेमवाल
Nov 14, 2024, 23:40 IST
| प्रेम से पावन धरा,
प्रेम से गुलशन हरा।
प्रेम से महकी हैं सांसें,
प्रेम है कुंदन खरा।।
प्रेम खुशियों का कमल है,
प्रेम ही वो पुण्य पल है।
प्रेम से ही प्रीत का,
प्रेम प्रिय झरना झरा।।
प्रेम रब का रूप है,
प्रेम ही वो धूप है।
प्रेम ने तन में हमारे,
प्रेम का मधुरस भरा।।
प्रेम अपना ख्वाब है,
प्रेम अपनी आब है।
प्रेम है शाश्वत सनातन,
प्रेम किससे कब डरा।।
प्रेम से रिश्ते हैं सारे,
प्रेम से बंधन हमारे।
प्रेम गागर नेह की है,
प्रेम ही इसमें भरा।।
प्रेम से पावन धरा,
प्रेम से गुलशन हरा।
प्रेम से महकी हैं सांसें,
प्रेम है कुंदन खरा।।
कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड