जीवन चलने का नाम - सुनील गुप्ता
(1)"जीवन ", जीवन जिए चलें सतत
चलते रहना ही जीवन !
कल-कल बहते रहें अनवरत.....,
बहना ही है जीवन !!
(2)"चलने ", चलने वाले ठहरते नहीं
रुका करते नहीं बीच राहों में !
बहने का नाम है ज़िन्दगी.....,
रहें बहते नदिया जैसे !!
(3)"का ", काम करें जो भी शुरू
उसे अंजाम तक ले जाएं !
भूलें नहीं लक्ष्यों को कभी.....,
और हर पल बढ़ते जाएं !!
(4)"नाम ", नाम रहे उसका ही सदा
जो करे लक्ष्यों को हासिल !
बेफिक्र होकर जो चले...,
पहुंचे वही सीधे मंज़िल !!
(5)"जीवन है चलने का नाम ",
और चलना जीवन की शान !
चलते रहें सुबह ओ शाम....,
सदा रहे जीवन का भान !!
(6) जीवन के हरेक पड़ाव पर
चलें जानते जीवन रहस्यों को !
मुस्कुराते रहें सदा यहां पर....,
भूलें नहीं कभी अपनों को !!
(7) कट जाए सफर जीवन का
यूँ ही चलते चलते !
आसान बन आएं राहें....,
चलते मस्ती में डग भरते !!
(8) मुश्किलें आसान हो आएं
ग़र मिल जाए एक हमसफ़र !
कुछ तुम चलो, कुछ हम चलें....,
और पता ना चले, ये सफर !!
(9) जीवन की हरेक सुबह शाम
खिल आए चलते हँसते !
उम्मीदों के जहां को......,
पा लें यूँ ही चलते चलते !!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान