है जीवन बहती नदी - सुनील गुप्ता
Nov 13, 2024, 23:06 IST
| है जीवन
एक बहती नदी,
चलते रहें, बहते ही रहें !
अपने को यहां पर रखते व्यस्त.....,
अवश्य कुछ ना कुछ करते रहें !! 1!!
होएं कैसी
भी यहां परिस्थिति,
हमें बढ़ते रहना है सदैव अनवरत !
और जीवन के हर उतार चढ़ाव में....,
सतत बने रहना है निर्भीक और मस्त !!2!!
नदी पहाड़
जंगल और झरने,
हमें जीवन के गुर बतलाएं !
ये अपना मार्ग स्वयं ढूंढ़ते आगे बढ़ते....,
और हर ठोकर से, ये उठना सिखलाएं !!3!!
कल-कल
बहते सतत निर्झर,
चलते है अपनी तरन्नुम भरी चाल !
ये कभी न पीछे मुड़कर देखे.....,
और बने रहे यहाँ पे प्रसन्न खुशहाल !!4!!
हम बन
नदिया चलें बहते
और बढ़ते अपने सागर की ओर चलें !
मिलकर अपने वृहत स्वरूप के संग-साथ.....,
असीम सत्ता संग बँधते दूसरी छोर चलें!!5!!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान