आओ मिलकर पेड़ लगाएं - सुनील गुप्ता

आओ मिलकर पेड़ लगाएं
धरा को स्वर्गसा सुंदर बनाएं !
आसपास हरियाली बढ़ाकर.....,
जीवन को खुशहाल बनाएं !!1!!
हैं पेड़ पौधे वृक्ष लताएं
सभी धरा के अनुपम परिधान !
इन्हें ओढ़ चले है जब वसुंधरा.....,
तब खिल-खिल आए पूरा जहान !!2!!
है चले झूमते जब धरा प्रकृति
तब नाचे है ये मन मयूरा !
बदलते चले जीवन नियति......,
और कूके कोयल वनपंछी पपीहरा !!3!!
सभी ताल तलैया कुएं बावड़ी
मेह नेह संग भर-भर आएं !
पड़े बारिश फुहारों की झड़ी.....,
तब कल-कल नदियाँ झरने बह जाएं !!4!!
गिरी पर्वत पठार उपत्यकाएं
चहुँ ओर सघन हरियाली छाए !
चलें वन कानन उपवन हर्षाएं......,
और उल्लासित जीवन गीत सुनाएं !!5!!
जब ओढ़ धानी चुनरिया प्रकृति
चले हौले-हौले छम-छम-छम !
तब खिलती मुस्काए गाए धरती.....,
और जीवन में बरसे उत्साह उमंग !!6!!
आओ इस धरा का श्रृंगार करें
और इसको सुंदर अप्रतिम बनाएं !
ख़ूब लगाएं वृक्ष लताएं सुंदर......,
जीवन धरा को सुखमय बनाएं !!7!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान