चलीं कुछ करीं - अनिरुद्ध कुमार
Mar 3, 2024, 23:10 IST
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ई फिज़ा रंग लाये चलीं कुछ करीं,
दिलजले ना जलाईं चलीं कुछ करीं।
हम सबे हमवतन केबा गैर इहाँ,
ई चमन मुस्कुराये चलीं कुछ करीं।
जिंदगानी बड़ीं राह कांटा भरल,
सब वतन गीत गाये चलीं कुछ करीं।
हर तरफ हो खुशी न हो कोई दुखी,
प्यार दिल में बसाईं चलीं कुछ करीं।
फूल अमन के खिले दिलके मोह ले,
फूल खुशबू लुटाये चलीं कुछ करीं।
चाँद तारा हँसें देख के ई जमीं,
मिट जाये अंधेरा चलीं कुछ करीं।
चल पड़ीं संग 'अनि', ले तमन्ना इहे,
चाँदनी जगमगाये चलीं कुछ करीं।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड।