चलीं कुछ करीं - अनिरुद्ध कुमार

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ई फिज़ा रंग लाये चलीं कुछ करीं,

दिलजले ना जलाईं चलीं कुछ करीं।

हम सबे हमवतन केबा गैर इहाँ,

ई चमन मुस्कुराये चलीं कुछ करीं।

जिंदगानी बड़ीं राह कांटा भरल,

सब वतन गीत गाये चलीं कुछ करीं।

हर तरफ हो खुशी न हो कोई दुखी,

प्यार दिल में बसाईं चलीं कुछ करीं।

फूल अमन के खिले दिलके मोह ले,

फूल खुशबू लुटाये चलीं कुछ करीं।

चाँद तारा हँसें देख के ई जमीं,

मिट जाये अंधेरा चलीं कुछ करीं।

चल पड़ीं संग 'अनि', ले तमन्ना इहे,

चाँदनी जगमगाये चलीं कुछ करीं।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड।