पुकारते चलो यहां - सुनील गुप्ता

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पुकारते चलो यहां

ये ज़िन्दगी बुला रही  !

सजा लो सपना नया ....,

जो ज़िन्दगी दिखा रही  !!1!!

ढल रही शाम फिर

चांदनी उतर रही  !

बदल रहे रंग फ़िर.....,

महफिलें सज रही !!2!!

आवाज दो तुम यहां

मुस्कुरा के वो आएंगे  !

जो खो गए थे कहीं.....,

वो लौट के आएंगे  !!3!!

खामोश है ज़िन्दगी

बेचैनियों से भरी  !

गुनगुना दो ज़रा.....,

तो खिल उठे हरी-हरी !!4!!

बदल रही ज़िन्दगी

दौड़ती जा रही  !

है गमज़दा आदमी.....,

सुनी अनसुनी कर रही !!5!!

ज़िन्दगी सिमट रही

दफ़न हो रही यहां  !

खुली हवा आने दें....,

चहकने दें इसे यहां !!6!!

आओ भरें नयी उड़ान

चलें पकड़ मंज़िल नयी  !

ढूंढ के नया आसमां......,

तलाशें सुकून फ़िर यहीं !!7!!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान