कुंभ - अनिरुद्ध कुमार

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नश्वरता नैनों में गड़ता।

चारों ओर दिखें है जड़ता।।

कुंभ नहानें चलरे मनवा।

पाप मुक्त हो जाये तनवा।।

कुंभ नहानें जो भी जाता।

पाप मुक्त जीवन हो जाता।।

कष्ट क्लेश से मुक्ति पाता।

कुंभ सदा हीं मन को भाता।

कुंभ नगर में हर दम चर्चा।

इस जीवन का मालिक कर्ता।।

नागा बाबा कुंभ पधारें।

चल दर्शन कर जीवन तारें।।

कुंभ नगर का दर्शन कर लें।

जीवन में खुशियों को भर लें।।

मानव जीवन सफल हो जाये।

भाग्य वान हीं कुंभ नहाये।।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह

धनबाद, झारखंड