स्व० ठाकुर प्रेम पाल सिंह दरोगा की स्मृति में कवि सम्मेलन संपन्न

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Vivratidarpan.com जलेसर (एटा) - शब्द-शब्द दर्पण साहित्यिक समूह के तत्वाधान में समूह के सह-संस्थापक, राष्ट्रीय महासचिव व उपाध्यक्ष कुँ. प्रवल प्रताप सिंह राणा 'प्रवल' के पूज्य पिताजी स्व. ठा. प्रेमपाल सिंह दरोगा की ग्यारहवीं पुण्यतिथि 27 अप्रेल 2024 को एक वृहद कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। 
कार्यक्रम का आयोजन स्व० ठाकुर प्रेमपाल सिंह दारोगा के नगला उदी (शकरौली) जलेसर, जनपद एटा स्थित आवास पर स्थापित भव्य पंडाल में किया गया। प्रेम और स्नेह से भरपूर ग्रामीण परिवेश में आयोजित कार्यक्रम ने सभी कवियों व दर्शकों का मन मोह लिया। 
कवि सम्मेलन से पहले हवन का आयोजन हुआ जिसमें ग्रामवासियों के साथ साथ साहित्यकारों ने भी भाग लिया, हवन के प्रसाद और भोजन के पश्चात कवि सम्मेलन का प्रारंभ हुआ, अंतरराष्ट्रीय कवियित्री सरला शर्मा जी के सानिध्य में प्रवल के बड़े भाई श्री वीरेंद्र सिंह ने दीप प्रज्वलन किया और सभी कवियों ने माँ सरस्वती का पूजन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए आयोजक कुँ० प्रवल प्रताप सिंह राणा 'प्रवल' ने अपने पिताजी के द्वारा किए गए सत्कार्यों के बारे में बताया। 
अलीगढ़ से आई कवयित्री वर्तिका तोमर ने गंगोदक सवैया में सरस्वती वंदना से शुरुआत की।
"शक्ति का हाथ हो, राह आसान हो।
दीजिए साज सारे हमें शारदे।"
अपनी शुरुआत सवैया से की व राम पर गीत सुनाकर सभी का दिल जीत लिया।
"जीवन की गति जानन वारो 
यह एक हमारो प्यारो कन्हैया 
रूप अलौकिक प्यार की भाषा 
में बतरावे जे प्यारो कन्हैया"
हिसार, हरियाणा से पधारी कवयित्री राजवाला राज ने व हाथरस से पधारे कवि बीरेंद्र पाठक ने अपनी कविता सुनाकर मंत्र मुग्ध कर दिया। वरिष्ठ कवि पाठक ने एक कविता में अयोध्या दर्शन की प्रवल इच्छा जाहिर की।
गुरुग्राम से पधारे आगरा के मूल निवासी कवि भानु प्रताप सिंह तोमर ने सुनाया..
"शहरों में बसने वाले हम,
आओ अपने गांव चलें,
जहाँ बिताया बचपन अपना,
आओ फिर उस ठाँव चलें,"
आगरा के ही वरिष्ठ कवि रामेन्द्र शर्मा 'रवि' ने सुनाया 
"अंतरमन के भव सागर में,
डुबकी रोज लगाता हूँ।
क्या भूलूँ क्या याद रखूँ मैं,
समझ नहीं कुछ पाता हूँ।"/
मथुरा से पधारे कवि आचार्य निर्मल ने माँ बाप पर बहुत शानदार परिचय गीत से शरुआत की ..
सकरौली नगला उदी ,जलेसर एटा धाम।
ठाकुर प्रेम पाल सिंह ,दरोगा जी है नाम।।
परम पूज्य पिता श्री का, स्मृति पर्व महान।
काव्य रूप श्रद्धा सुमन ,‘निर्मल’ मन गुणगान।।
एटा से पधारी कवयित्री चन्द्रेश जैन की गजलों को भी दर्शकों ने खूब सुना...
मेरी याद तुमको आती तो होगी।
धड़कन दिलों की बढाती तो होगी।
चांन्दनी रात जब खिलखिला कर के‌हंसती ;
सांसे सहम तेरी जाती तो होगी।
ग्रेटर नॉएडा से पधारीं नगला उदी की मूल निवासी कवयित्री व कार्यक्रम की प्रबंधक अरुणा राणा ने स्व. दरोगा जी को यादकर गाया...
शहर में जन्मी पली बढ़ी,
मन में लाखों सपने थे।
गांव में आई बधू बनी ,
सब प्यारे प्यारे अपने थे।
इन अपनों से मिल कर के, हमने परिवार बनाया था।।
दूजी मां ने प्यार दिया पिताजी ने सम्मान दिलाया था।।
लखनऊ से जलेसर पधारीं अतर्राष्ट्रीय कवयित्री सरला शर्मा ने देशभक्ति व श्रृंगार पर बहुत शानदार सुनाया। दर्शकों की माँग भी पूरी की। आपको खूब सुना गया।
चरण माता पिता के छू के तुम सम्मान लिख देना।
कभी थामो किसी का हाथ तो मुस्कान लिख देना।
तिरंगे के लिए जीना, तिरंगे की ही खातिर तुम,
लहू से अपनी इस माटी पे हिन्दुस्तान लिख देना।
कासगंज से पधारे कवि व कार्यक्रम के संयोजक विपिन शर्मा पत्रकार ने श्रृंगार सुनाकर दिल जीत लिया...
पत्तियां सूख कर सब बिखरती रहीं।
बन के मस्कन में खुश्बू महकती रहीं।।
फूल जा के बिके जब से बाज़ार में,
शोखियां डालियों पर सिसकती रहीं।।
फ़रीदाबाद, हरियाणा से पधारे हास्य कवि एन सी खंडेलवाल ने अपनी रचनाओं से खूब गुदगुदाया। साथ ही दरोगा जी को समर्पित अपनी रचना सुनाई...
अपनी रचना को अर्पण दरोगा जी
यही कवियों का तर्पण दरोगा जी
सब कुछ तुम्हे समर्पण दरोगा जी
कवि नानक के मन दरोगा जी
एक थे हमारे न्यारे दरोगा जी
नेक थे सबके प्यारे दरोगा जी।
हाथरस से पधारे कवि हरिओम उपाध्याय 'केशव' ने मित्रता पर सुनाया..
मित्र तो मीत होते हैं, मित्र मनमीत होते हैं।
धड़कनें दिल की होते हैं, अधर के गीत होते हैं।
मथुरा से पधारे कवि रवेन्द्र पाल सिंह 'रसिक' ने सुनाया..
नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है।
परिंदों के लिए गमलों में पानी कौन रखता है।।
हमीं गिरती हुई दीवार को थामें रहें वरना।
सलीके से बुजुर्गों की निशानी कौन रखता है।।
अलीगढ़ से पधारे कवि और शब्द शब्द दर्पण के संस्थापक अध्यक्ष मानव सिंह राणा 'सुओम' ने सुनाया..
आँगन का कड़वा सच केवल केवल उसकी दीवारे हैं।
भाई से भाई की दूरी केवल, केवल उनकी तकरारें हैं।
कवि कुँ. प्रवल प्रताप सिंह राणा 'प्रवल' ने सभी का आभार व्यक्त किया व अपने पिताजी के संस्मरण याद करते हुए कहा 
बिन आपके ये मन, दुनियां में नहीं लगता।
आप सदृश कोई भी तो दुनियां में नहीं जंचता।
आके स्वर्ग से पुनर्जीवित, मुझे कर गए पिताश्री।।
मेरा अस्तित्व आपसे है ,मेरे जनक पिताश्री ।।
कार्यक्रम में स्व० ठाकुर प्रेम पाल सिंह के पुत्र कुँ० प्रवल प्रताप सिंह राणा 'प्रवल' अरिमर्दन प्रताप सिंह व रिपुदमन प्रताप सिंह राणा ने अतिथियों का सम्मान किया व सभी का आभार तीनो भाइयों ने निवेदित किया।
नंकार्यक्रम में अधिकांश सम्माननीय ग्राम व क्षेत्रवासियों की उपस्थित रही, जिनमें सर्व वीरेंद्र सिंह, सज्जन पाल सिंह, उदय वीरेंद्र मिश्रा, अभय पाल सिंह, रूपेश कुमार, रनवीर सिंह, रूपेश ठाकुर, प्रमोद कुमार सिंह, मुनेश पाल सिंह, प्रताप सिंह, गजेंद्र सिंह, रोहित सिंह, मानवेन्द्र सिंह, राम वीर शर्मा, कोमल शर्मा, नेमी चंद्र शर्मा, भीम प्रसाद शर्मा, विजय प्रताप सिंह पूर्व प्रधान, एस पी सिंह नीलू, संजीव कुमार सिंह, नरेश कुमार सिंह, अरुण प्रताप सिंह आशु, संतोष कुमार सिंह, राहुल कुमार सिंह, लच्छो सिंह , गिर्राज सिंह,  देवेंद्र कुमार जैन और क्रय विक्रय समिति जलेसर के चेयरमैन नगेन्द्र प्रताप सिंह (राहुल बना) आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे, इन सभी ग्रामवासियों ने आमंत्रित कवियों को अंगवस्त्र ओढ़ाए और माल्यार्पण कर सम्मानित किया। आयोजकों ने सम्मानपत्र प्रदान किए और शिष्टाचार के तहत इन सभी ग्रामवासियों का सम्मान आयोजक और शब्द शब्द दर्पण ने रामनामी पटका पहना कर किया।
कवि सम्मेलन के पश्चात मैत्रीपूर्ण वातावरण में स्वल्पाहार के साथ साथ अगले वर्ष पुनः आयोजन की सूचना के साथ कार्यक्रम  का समापन हुआ।