कात्यायनी - सुनील गुप्ता
( 1 )" का ", कामनाएं
करे पूर्ण माता कात्यायनी ,
और चले तन-मन जीवन हर्षाए !
आओ, माता के नित्य शीश नवाएं..,
और करें मातृशक्ति की वंदनाएं !!
( 2 )" त् ", त्वम्
महाशक्ति की परिचायक,
हरती दुःख विषाद सभी के माता !
आओ, मिलके करें माँ की पूजा आरती.,
चले भवसागर से पार कराते माता !!
( 3 )" या ", या
देवी सर्वभूतेषु, मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः !
ऋषि कात्यायन की कठोर तप साधना से..,
आईं ऋषि पुत्री कात्यायनी घर पे अंततः!!
( 4 )" य ", यत्र
नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः,
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः!
आओ चलें मां कात्यायनी की आराधना करते,
और पाएं फल अर्थ धर्म काम मोक्ष यहाँ !!
( 5 )" नी ", नीरू-ए-बाज़ू
शक्ति माता की,
देख घबराएं, भागें दैत्य दानव सभी !
आओ करें मिलके पूजा अर्चना छठवीं की.,
और पाए चलें परम पद की प्राप्ति सिद्धि !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान