कार्तिक पूर्णिमा - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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भारतवर्ष महान जहाँ मिल के हम पर्व अनेक मनाते।
कार्तिक मास पुनीत बड़ा करवा धनतेरस होइ मनाते।
पूजन पर्वत गोधन का सब दीपजला कर पर्व मनाते।
तीर नदी सब पूज दिवाकर अर्घ्य चढा छठ सर्व मनाते।1

देव कुबेर भरें घरबार सुखी सबका मन आँगन होगा।
नानक देव कृपालु बड़े वरदान मिले खुश जीवन होगा।
विष्णु ए’कादश को जगते शुभ कार्य शुरू जग गुंजन होगा।
पूनम रात जलें बहु दीप प्रकाशित-हर्षित देवन का मन होगा।2
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव, उत्तर प्रदेश