करीं अठखेल - अनिरुद्ध कुमार
Updated: Feb 2, 2024, 23:29 IST
| माया ठगनी खेले खेल,
केहू पास त केहू फेल।
केहू ओड़ेला कटोरा,
केहू बेंच रहलबा तेल।
चारो तरफ मेल बेमेल,
कतना केहू कसीं नकेल।
तालमेल हीं नाता जान,
जेने देखी ठेलम ठेल।
तूड़ी, साटी चाहे झेल,
दुनिया दउड़े लागे रेल।
मतलब हीं कायदा जानीं,
बिन फायदा देला ढ़केल।
उलट पुलट जीवन के सार,
अवसर आये मार गुलेल।
ताम-झाम में सबे उलझल,
मार चौकड़ी नेह उढ़ेल।
इहे जग के खेल तमाशा,
के केकरा देला अधेल।
आगे सोंची, सरपट भागी,
डुबकी मार करीं अठखेल।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड