कान्हा की सुन बांसुरी - डा० क्षमा कौशिक
Feb 21, 2024, 23:10 IST
| कान्हा की सुन बांसुरी,राधा हुई अधीर,
काम काज सब छोड़ कर ,भागी यमुना तीर।
पीत वसन कर बांसुरी,अधर मधुर मुस्कान,
सुध बुध भूली बावरी, सुन बंशी की तान।
इत चूनर उत घाघरा, घूंघट न पग त्रान,
भागी मुग्धा नायिका,छोड़ छाड़ कर मान।
मुस्काए कान्हा निरख,नैन छलकता नीर,
मैं तो तेरे उर बसा, क्यों तू हुई अधीर।
कान्हा तेरी बांसुरी, विकल करे मन देह,
परवश निकली गेह से,सुन बंशी की टेर।
नेह बरसता नयन से, मुख से कुछ नहीं बात,
आँखिन आँखिन में करें,श्याम राधिके बात।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड