रूआब रहेगी - ज्योत्सना जोशी
Nov 9, 2023, 23:57 IST
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तेरा ख़याल-ए-वस्ल ही मुक्कमल है,
महक तिश्नगी की ज़ब्त क़याम रहेगी।
आंखों का गहरा काजल कुछ कहता है,
बहुत सी बातों की गुमशुदा ज़बान रहेगी।
मेरा तुझमें होना गर ज़ाहिर नहीं है,
ये इत्तेफ़ाक ज़ेहन में शिगाफ़ रहेगी ।
किसी के होने का महज़ दौर होता है,
चांद तन्हा चल पड़ा शब मक़ाम रहेगी।
रूहानी रिश्ते अंजाम तक पहुंचते नहीं,
कहीं किसी जगह में छूटी शबाब रहेगी।
रूठनेे-मनाने की जब उम्र ढलने लगे
अपने होने की बेलौस रूआब रहेगी।
- ज्योत्सना जोशी ज्योत, देहरादून , उत्तराखण्ड