बस यूं ही - सविता सिंह
Apr 4, 2024, 23:34 IST
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खिला गए वो मुझे सुमन की तरह,
फ़ैल गई खुशबू चमन की तरह।
कैद थे दिल में जो अनचाहे जज्बात,
बरस पड़े फिर वह सावन की तरह।
छुपाए नहीं छुपती हंसी लबों से,
आ गया अल्हड़पन बचपन की तरह।
रह ना पाऊं उन बिन एक पल भी अब तो,
बस गए वो दिल में धड़कन की तरह।
तुम्हारे आंगन की तुलसी को पूजे "मीरा" ,
ले जाना अब तुम मुझे दुल्हन की तरह।
सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर