सनातन धर्म के त्यौहारो को सिर्फ अपने फायदे के लिए रील,फेसबुक के द्वारा मजाक बनाना क्या उचित है.....? - झरना माथुर
vivratidarpan.com - सनातन धर्म जिसे हिन्दू धर्म अथवा वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप में भी जाना जाता है। इस हिन्दू धर्म में सैंकड़ों त्यौहार है। धनतेरस, दीपावली, होली, नवरात्रि, दशहरा, महाशिवरात्री, गणेश चतुर्थी, रक्षाबंधन इत्यादि मनाए जाते हैं। लेकिन इनमें से कुछ त्यौहार है, कुछ पर्व, कुछ व्रत, पूजा और कुछ उपवास। उक्त सभी में फर्क करना चाहिए।
हिंदू त्यौहार कुछ खास ही हैं, लेकिन भारत के प्रत्येक समाज या प्रांत के अलग-अलग त्यौहार, उत्सव, पर्व, परंपरा और रीति-रिवाज हो चले हैं। यह लंबे काल और वंश परम्परा का परिणाम ही है कि वेदों को छोड़ कर हिंदू अब स्थानीय स्तर के त्यौहार और विश्वासों को ज्यादा मानने लगा है। सभी में वह अपने मन से नियमों को चलाता है। लेकिन आजकल देखा जा रहा है कि अपने फायदे के लिए रील के माध्यम से अपने त्यौहार का मजाक उड़ाया जा रहा है। जैसे नागपंचमी पे बहनों को दूध पिलाने वाली बात, रक्षा - बंधन जैसे पवित्र त्यौहार पे भद्दा मज़ाक बनाती रील, गर्मियों की छुट्टियों में नंदो का मायके जाने पे एक भद्दा मज़ाक इत्यादि।
क्या ये सही है। हम लोग अपने ही धर्म और त्योहारों का मजाक बना के दुनियां के सामने क्या सिद्ध करना चाहते हैं। अगर दूसरे समुदाय के लोग ऐसा करे तो हमे क्या अच्छा लगेगा। ये एक सोचने वाली बात है। जिस पर सबको ध्यान देना चाहिए और जो लोग ऐसा कर रहे है उन पर सख्त कदम उठाना चाहिए। - झरना माथुर , देहरादून , उत्तराखंड