कुछ नया देखलीं - अनिरुद्ध कुमार
Apr 23, 2023, 22:15 IST
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जा रहल बा जमाना कहाँ देखलीं,
केहु के ना ठिकाना अदा देखलीं।
बोल बोले सबे बात तीखा लगें,
आफतें बा गुजारा बयां देखलीं।
लोग बेचैन भटके इहाँ या उहाँ,
खौफ़ लागे नजारा जहां देखलीं।
केकरा पर भरोसा करीं आदमी,
हर तरफ फायदा कायदा देखलीं।
आज आबोहवा में जहर बा घुलल,
धाह जारे जिगर का हवा देखलीं।
शान कापर करीं आँख ढ़ूंढ़े सदा,
लोग मातल दहाड़ें नशा देखलीं।
नाज जेपर रहें नित तमाशा करें,
माल दौलत निशाना मजा देखलीं।
आदमी बेसहारा भइल दरबदर,
बा इशारा गजब हर दफा देखलीं।
'अनि' कहेका लगे ई अजूबा जहाँ,
खेल होखीं शुरू कुछ नया देखलीं।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड