मैं दीपक हूं - सुनील गुप्ता
Thu, 16 Mar 2023
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मैं हूं दीपक, तुम हो बाती
करते चलना रोशन जीवन !
बाधाएं कैसी भी आएं......,
सदा रहे आलोकित जीवन !!1!!
मैं हूं चकोर, तुम हो स्वाति
मुझमें समा बन जाए मोती !
बरसों बरस की ये तपस्या......,
आखिर जीवन में खिल आती !!2!!
तुम हो रोशनी, मैं पतंगा
फ़िर-फ़िर के मैं तुझपे आता !
करके जीवन अपना अर्पण...,
तुझमें ही मैं लीन होता !!3!!
तुम हो कमल, मैं हूं भंवरा
रुप रस का मैं दीवाना !
दिनभर तुझपे ही मंडराता....,
तुझमें ही मैं आ समाता !!4!!
मैं हूं आशा, हो तुम विश्वास
जीवन की हर पहेली बूझें !
चले मिलाते जीवन नियति....,
एक दूज़े में स्वयं को खोज़ें !!5!!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान