आगाज़ हूँ मैं - अनिरुद्ध कुमार
Thu, 18 May 2023
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दरबदर देख ले आज हूँ मैं,
एक टूटा हुआ साज हूँ मैं।
हर समय दूर बैठै निहारें,
बोल पायें नहीं राज हूँ मैं।
क्या करें हम जहाँ में गुजारा,
क्या कहें हाय बेताज हूँ मैं।
अब नहीं है किसी पे भरोसा,
वक्त की जान आवाज हूँ मैं।
दर्द दिल को हमेशा रुलाये,
रोज गायें गजल नाज हूं मैं।
जिंदगी कर रहीं बेवफाई,
अब कहाँ आस परवाज़ हूँ मैं।
'अनि' तड़पते चला जा रहा है,
इक हसीं राह आगाज़ हूँ मैं।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड