मैं अयोध्या हूँ - सुनील गुप्ता
मैं
अयोध्या हूँ
रही बाट जोहती श्रीरामजी की !
पांचसौ वर्षों की तपस्या के बाद...,
खुश हूँ देख आभा पुनः साकेत नगरी की!!1!!
मुझे
बसाया था
विवस्वान पुत्र वैवस्वत मनु महाराज ने !
जिनके प्रताप से जगमग थी ये पावन भूमि....,
और रहा मेरा वैभव अलौकिक पूरे संसार में !!2!!
मैं
रही पहले
प्रारंभिक राजधानी कौशल राज्य की !
फिर आए इक्ष्वाकु, पृथु, मांधाता, हरिश्चंद्र,सागर..,
भगीरथ, रघु, दिलीप,बनी अंत में दशरथ राम की !!3!!
मेरा
वैभव देखने
आया करते हैं दुनिया भर से लाखों भक्तगण!
मैं रही सदा सर्वदा से पवित्र मंदिरों की नगरी.....,
और बनी रही प्रतिष्ठा सदियों से राममय अक्षुण्ण!!4!!
मुझे
मिटाने की
बार-बार की गयीं कोशिशें अनथक !
पर, मैं हरबार निकल आयी दुश्चक्र से बाहर...,
और पुनः श्रीरामजी का नाम कर रही हूँ सार्थक !!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान