कैसी लाचारी - अनिरुद्ध कुमार

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दुनिया सारी प्रेम पुजारी।

मानव की कैसी लाचारी।

जो आता है घुल मिल जाता।

पल भर में जग को हर्षाता।

बाधाओं से पगपग लड़ता।

कौन यहाँ पे जो दुख हर्ता।

जो मन चाहे वैसा करता।

जैसी करनी वैसा भरता।

संसारिक यह कैसा नाता।

कोई आता कोई जाता।

रोता गाता चलता जाता।

फिर भी ये जग सबको भाता।

समय ताल पे दुनिया चलती।

मौसम-मौसम रंग बदलती।

विचलित हो चितकार लगाता।

गैरों को नित हाल बताता।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह

धनबाद , झारखंड