होली - निहारिका झा

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फ़ागुन पूनम को है आता,

पर्व ये होली का मनभावन,

आपस में मिल रहे गले,

भेदभाव दिखता ना कोई,

प्रेम और सौहाद्र भरा यह,

होता है यह पर्व जो होली।

जीत हुई थी सत्य न्याय की,

दहन होलिका आज हुई थी,

इसी खुशी में सभी मनाते,

झूम झूम रँगों की होली।

मौसम दिखे बासंती सा,

टेसू चटके न्यारे न्यारे,

एक ही रंग में रंगे हुए हैं,

सारे जन लगते हैं प्यारे,

भेदभाव को मिटा ने आया

पावन है यह पर्व जो होली।

- निहारिका झा, खैरागढ़ राज.(36 गढ़)