होली है - रेखा मित्तल

 | 
pic

आज भी होली के रंग वही है,
वह टेसू के फूल ,अबीर और गुलाल,
पर चेहरे और रंगत बदल गई हैं,
वह एहसास बेगाने हो गए है,
वह खुशी , वह उल्लास,
नहीं है आज हवाओं में,
वह रूमानियत , दोस्तों की टोली,
भूल गए हैं सब मस्त होली।
रंग लगाना और गले मिलना,
सब गिले-शिकवे भूल जाना,
रंग जाने बहुत फीके हो गए हैं,
शब्द जाने कहांँ खो गए हैं,
वह खुशी ,वह बेपरवाह जिंदगी,
वह अल्हड़पन,होली का जोश,
अब तो भीड़ में भी अकेला हूँ।
- रेखा मित्तल, चंडीगढ़