हो गइल दरबदर जिंदगी - अनिरुद्ध कुमार

 | 
pic

जा रहल आज कवने डगर जिंदगी,

जान मारे हमेशा नजर जिंदगी।

प्यार कइसे करीं हर घड़ी बेरुखी,

तोड़ देला सबेके जिगर जिंदगी।

बांह थामें उड़ाये लिए चल पड़ल,

सोंचली का करेनी फिकिर जिंदगी।

लाख झंझट परेशान बा आदमी,

हाल बेहाल उगले जहर जिंदगी।

मन कचोटे  बताईं भरोसा कहाँ,

छोड़के चल पड़ल ई शहर जिंदगी।

रातदिन बेरुखी दिल परेशान बा,

सब तमाशा करें बेकदर जिंदगी।

बैमनस देखलीं ई जहाँ के चलन,

लोग ताना भरें बा लहर जिंदगी।

हर तरफ हो रहल बा बखेड़ा नया,

सब मजा ले रहल बा कगर जिंदगी।

रोज हैरान 'अनि' बैठ सोंचत रहस,

का भइल हो गइल दरबदर जिंदगी।

-अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड